बेंगलुरु. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को 21वीं सदी में अहम रोल निभाने के लिए खुद को नया आकार देना चाहिए। डीआरडीओ को युवा ताकत का इस्तेमाल कर नई सदी में आतंकवाद से पीड़ित देश के लिए अहम किरदार निभाना चाहिए।
बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, कोलकाता और मुंबई में प्रयोगशालाएं बनेंगी
डीआरडीओ की 5 युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं देश को समपर्पित करते वक्त यह बात कही। यह प्रयोगशालएं बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, कोलकाता और मुंबई में बनेंगी। यहां 35 साल से कम उम्र के वैज्ञानिकों को अनुसंधान और विकास के लिए प्राथमिकता दी जाएगी। मोदी ने कहा- यह वह दशक है, जो तय करेगा कि हमारी ताकत क्या है और भारत दुनिया के नक्शे में कहां होगा। यह दशक युवा शक्ति, युवा अन्वेषकों का है। खासतौर से ऐसे अन्वेषक जो या तो 21वीं सदी में जन्मे हैं या इस सदी में बड़े हुए हैं।
'ऐसे देश भी हैं, जिन्होंने कभी हथियार उठाने के बारे में नहीं सोचा'
प्रधानमंत्री ने कहा- यह दशक न केवल देश की सेवा करने का मौका देगा, बल्कि आतंकवाद के बढ़ते खतरे के मद्देनजर वैज्ञानिक पूरी दुनिया की मदद कर सकेंगे। आज कई देश हैं, जिनके पास सीमाई विवाद या उससे जुड़े खतरे हों, क्योंकि ऐसे देश दोस्ताना पड़ोसियों से घिरे हुए हैं। इन देशों ने कभी भी युद्ध के लिए हथियार उठाने के बारे में नहीं सोचा होगा। हालांकि, ऐसे देश भी आतंकवाद की गिरफ्त में हैं और उन्हें भी हथियार उठाने होंगे। डीआरडीओ ऐसे देशों की आंतरिक सुरक्षा में मदद कर सकता है।
'डीआरडीओ के कदम मानवता के लिए सेवा होंगे'
मोदी ने बताया, "जब भी मैं ऐसे देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मिलता हूं तो मैं महसूस करता हूं कि उनकी जरूरतें बहुत तेजी से बढ़ रही हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद वे बढ़ते हुए खतरे के बारे में सोचने को विवश हैं। भारत उनकी सुरक्षा संबंधी चिंताओं के बारे में मदद कर सकता है। डीआरडीओ की इस दिशा में उठाए गए कदम मानवता के लिए सेवा होंगे। दुनिया में भारत की स्थिति भी मजबूत होगी।''